मेरे दिल की बात
जो मरे कोई "नेता" तो रोते है हजारो,
झुकते है "झंडे" और "सिर" भी |
न होती कोई आँख नम,
न पड़ता फर्क किसी को,
जवान बेटे , भाई होते शहीद ,
जब जब गिरते 'मिग' मेरे देश में ..... |
रोता है दिल ,रोता हूँ मैं भी ....
क्यों है "शहादत" के यह हाल मेरे देश में ...??
घर घर शहीद की बेवा,
क्यों मांजती है थाल मेरे देश में .....??
नहीं है कोई बैर नेताओ से मुझ को,
न मैं कहेता कि "जाए" कोई भी 'एसे',
रहेगा "गणतंत्र" तो रहेगे नेता भी,
है दुनिया का सब से बड़ा प्रजातंत्र मेरे देश में ...|
बस चाहता हूँ इतना .....,
कि मिले शहीदों को मान मेरे देश में ....||
झुकते है "झंडे" और "सिर" भी |
न होती कोई आँख नम,
न पड़ता फर्क किसी को,
जवान बेटे , भाई होते शहीद ,
जब जब गिरते 'मिग' मेरे देश में ..... |
रोता है दिल ,रोता हूँ मैं भी ....
क्यों है "शहादत" के यह हाल मेरे देश में ...??
घर घर शहीद की बेवा,
क्यों मांजती है थाल मेरे देश में .....??
नहीं है कोई बैर नेताओ से मुझ को,
न मैं कहेता कि "जाए" कोई भी 'एसे',
रहेगा "गणतंत्र" तो रहेगे नेता भी,
है दुनिया का सब से बड़ा प्रजातंत्र मेरे देश में ...|
बस चाहता हूँ इतना .....,
कि मिले शहीदों को मान मेरे देश में ....||
- शिवम् मिश्रा
( आंध्र प्रदेश के दिवंगत मुख्यमंत्री वाई एस राजशेखर रेड्डी के निधन के बाद लिखी गई थी यह मेरे दिल की बात ! )
बात तो सही कही है………दर्द उभर कर आ रहा है।
जवाब देंहटाएं"ला-जवाब" जबर्दस्त!!
जवाब देंहटाएंआपकी रचना का दर्द समझ आता है .. ये बदनसीबी है अपने देश की ....
जवाब देंहटाएंदर्द उभर कर आया है ..बेहतरीन रचना.
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